Jabalpur Double Murder: Kavya Mukul Case Ki Puri Kahani Aur Ansuljhe Sawal!

Jabalpur Hatyakand: Kavya aur Mukul ki shocking crime story ka image.
Jabalpur Hatyakand ki ansuljhi gutthi: Kavya aur Mukul abhi bhi farar.

एक वॉइस नोट, जो पांच घंटे बाद सुना गया, वास्तव में, एक ऐसे खौफनाक सच का पैगाम लेकर आया जिसने रिश्तों की बुनियाद हिला दी। सोलह साल की काव्या की कांपती आवाज़ में छिपी थी उसके अपने ही पिता और मासूम भाई की मौत की खबर। निश्चित रूप से, इस कहानी का हर मोड़ आपको सोचने पर मजबूर कर देगा कि आखिर इस जबलपुर हत्याकांड (Jabalpur Hatyakand) का असली चेहरा क्या है।

अगर आप इस पूरे मामले को विस्तार से समझना चाहते हैं, तो पढ़िए पूरा Kavya and Mukul case in Hindi — एक ऐसी कहानी जिसने पूरे जबलपुर को झकझोर कर रख दिया।


एक खौफनाक वॉइस नोट (A Terrifying Voice Note)

सोलह साल की काव्या ने यह वॉइस नोट WhatsApp पर अपनी चचेरी बहन मुस्कान को भेजा था, जो मध्य प्रदेश के पिपरिया में रहती थी। हालांकि, मुस्कान ने यह वॉइस नोट पांच घंटे की देरी से सुना।

ऐसा संदेश सुनकर किसी का भी दिल दहल जाएगा, और स्वाभाविक रूप से, मुस्कान के साथ भी ठीक यही हुआ। उसने घबराकर तुरंत अपने पिता को यह संदेश सुनाया। अपने ही भाई और भतीजे की हत्या की खबर, वह भी अपनी भतीजी के मुंह से सुनकर, उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। आगे चलकर, यह मामला Kavya Mukul case के नाम से भी पहचाना जाने लगा।


घर में भयावह मंज़र (The Horrific Scene at Home)

पिपरिया और जबलपुर के बीच लगभग दो सौ तीस किलोमीटर की दूरी थी। इस वजह से, चाहकर भी वे तीन से चार घंटे से पहले वहाँ नहीं पहुँच सकते थे। इसलिए, उन्होंने जबलपुर में रहने वाले अन्य रिश्तेदारों को फोन कर इस दिल दहला देने वाली घटना की सूचना दी।

इसके बाद, करीब तीन बजे, जबलपुर पुलिस रेलवे मिलेनियम कॉलोनी में काव्या के घर पहुँची। जब वे दरवाज़ा खोलकर अंदर दाखिल हुए, तो सामने का मंज़र बेहद भयानक और दिल को झकझोर देने वाला था।

काव्या के पिता का शव पॉलीथीन में लिपटा हुआ रसोईघर में पड़ा था। यह, निःसंदेह इस जबलपुर हत्याकांड (Jabalpur Hatyakand) की पहली भयावह तस्वीर थी।

इसके अतिरिक्त, पूरे घर की गहन छानबीन करने के बावजूद पुलिस को काव्या के आठ वर्षीय छोटे भाई तनिष्क का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था। तभी एक पुलिस वाले की नज़र फ्रिज के हैंडल पर पड़ी। गौर से देखने पर उस पर खून के निशान दिखाई दिए।

अनहोनी की आशंका के साथ जब उन्होंने उस फ्रिज को खोला, तो वह आशंका खौफनाक सच में बदल गई। तनिष्क का शव एक कंबल में लिपटा हुआ फ्रिज के अंदर रखा था। परिणामस्वरूप, इस Jabalpur Hatyakand ने पूरे शहर में सनसनी फैला दी थी।


अतीत के साये और एक नया सवाल (Shadows of the Past and a New Question)

बीते कई सालों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें शव को छुपाने के लिए फ्रिज का इस्तेमाल किया गया। लेकिन, यह मामला बाकी मामलों से कहीं ज़्यादा पेचीदा और दिल दहलाने वाला था।

शवों की हालत बयां कर रही थी कि जिसने भी इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया, उसके सिर पर खून सवार था – वास्तव में, एक ऐसा शैतान जिसने आठ साल के मासूम बच्चे को भी नहीं बख्शा। घर पर मिले पिता और उसके आठ साल के बेटे के शवों ने पूरे परिवार में मातम और हाहाकार मचा दिया।

अभी माँ को गुज़रे एक साल भी पूरा नहीं हुआ था और अब परिवार के दो और सदस्य मौत के आगोश में समा चुके थे। फिर भी, सबसे बड़ा सवाल यह था कि अपने पिता और भाई की मौत की खबर देने वाली काव्या आखिर कहाँ है?

वॉइस नोट में काव्या ने घबराहट में कहा था, “मुस्कान जल्दी से… पापा और तनु… मुकुल ने मार दिया है।” काव्या ने इसमें ‘मुकुल’ नाम का ज़िक्र किया था और उसे अपने पिता और भाई का हत्यारा बताया था। तो सवाल यह उठता है कि, आखिर यह मुकुल कौन था, जिसका नाम इस जबलपुर हत्याकांड (Jabalpur Hatyakand) से जुड़ रहा था?


मुकुल कौन है और उसका अतीत (Who is Mukul and His Past?)

पुलिस ने जब इस नाम के बारे में छानबीन शुरू की, तो उन्हें पता चला कि बीस वर्षीय मुकुल उसी मोहल्ले में रहता था।

दरअसल, कुछ महीने पहले, राजकुमार (काव्या के पिता) की बेटी काव्या के अपहरण और अन्य आरोपों के आधार पर पुलिस ने मुकुल के खिलाफ पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया था। यह घटना छह महीने पहले, सितंबर दो हज़ार तेईस की थी। उस वक्त काव्या पंद्रह साल की थी। जाहिर है, यह पहलू Kavya Mukul case को और भी जटिल बनाता था।

अगर मुकुल जेल में था, तो फिर काव्या ने उसका नाम क्यों लिया? अब, पुलिस के सामने सबसे पहला और अहम सवाल यह था कि कहीं काव्या के साथ भी कोई अनहोनी तो नहीं हो गई।


सीसीटीवी फुटेज से गहराता रहस्य (Mystery Deepens with CCTV Footage)

इसी क्रम में, पुलिस ने घर के आस-पास लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू की। उन्हें एक ऐसी फुटेज मिली जो किसी को भी हैरान कर सकती थी।

घटना के दिन, दोपहर साढ़े बारह बजे, मुकुल अपनी स्कूटी से कॉलोनी के बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया, और उसके कुछ ही सेकंड बाद, काव्या भी बाहर जाती हुई दिखाई दी।

इस फुटेज ने कई नए और उलझाने वाले सवाल खड़े कर दिए थे। पहला, अगर मुकुल जेल में था, तो वह बाहर कैसे आया? दूसरा, काव्या मुकुल के पीछे-पीछे क्यों गई, जबकि मुकुल पर काव्या के अपहरण और गंभीर धाराओं में केस दर्ज था?

इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए पुलिस ने जब मुकुल की केस हिस्ट्री निकाली, तो एक और, राज़ खुला। पता चला कि मुकुल और काव्या रिलेशनशिप में थे और सितंबर दो हज़ार तेईस में दोनों घर से भागकर भोपाल चले गए थे। लेकिन, काव्या के पिता की शिकायत पर पुलिस दोनों को पकड़कर वापस जबलपुर ले आई थी।

इसके फलस्वरूप, काव्या के नाराज़ पिता ने मुकुल को पॉक्सो एक्ट के तहत जेल भिजवा दिया था। लेकिन, ट्रायल के दौरान, काव्या ने अपने पिता के खिलाफ जाकर बयान दिया कि वह अपनी मर्ज़ी से मुकुल के साथ गई थी और मुकुल ने उसके साथ कुछ भी गलत नहीं किया।

काव्या के इस बयान के आधार पर कोर्ट ने मुकुल को रिहा कर दिया था। अब जाकर, पुलिस के सामने इस जबलपुर हत्याकांड (Jabalpur Hatyakand) की तस्वीर कुछ हद तक साफ हो रही थी।


शातिर दिमाग और पुलिस को चकमा (Sharp Minds and Deceiving the Police)

पुलिस की कई टीमें इस उलझे हुए Jabalpur Hatyakand की गुत्थी सुलझाने में लगी थीं। आगे, जांच बढ़ी तो मुकुल और काव्या जबलपुर रेलवे स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दिए।

ये दोनों प्लेटफॉर्म नंबर एक से अंदर घुसते दिखे, लेकिन दस-पंद्रह मिनट बाद ही, इन्हें प्लेटफॉर्म नंबर तीन से बाहर निकलते देखा गया। ऐसा लग रहा था कि इन दोनों ने यह ड्रामा पुलिस को चकमा देने के लिए किया था।

स्पष्ट रूप से, पुलिस अब समझ चुकी थी कि भले ही ये दोनों उम्र में कम थे, लेकिन उनका दिमाग शातिर अपराधियों जैसा काम कर रहा था। इसके बाद, ये दोनों बस स्टैंड की फुटेज में दिखाई दिए। जांच करने पर पता चला कि वे कटनी जाने वाली बस पर चढ़े थे। निश्चित तौर पर, इस Kavya Mukul case में उनकी फरारी ने पुलिस को परेशान कर दिया था।

हालांकि, ये दोनों इतने शातिर थे कि महज़ नब्बे किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए इन्होंने कई बसें बदली थीं। पुलिस की टीम जब तक कटनी पहुँची, ये लोग वहाँ से भी निकल चुके थे। मगर, कहाँ, इसका पता नहीं चल पा रहा था।

दोनों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगे होने के बावजूद उनकी सटीक लोकेशन नहीं मिल पा रही थी, क्योंकि वे इंटरनेट के लिए पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल कर रहे थे। पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल करने पर जब भी वे इंटरनेट ऑन करते या कोई ट्रांज़ैक्शन करते, तो जानकारी उस पब्लिक वाई-फाई के डोमेन की जाती थी, न कि उनके मोबाइल फोन की।

इस प्रकार, पुलिस के हाथ किसी भी तरह का डिजिटल फुटप्रिंट नहीं लग पा रहा था।


पोस्टमार्टम रिपोर्ट और हत्या की क्रूरता (Postmortem Report and Brutality of the Murder)

इस बीच, काव्या के पिता और भाई की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई थी। पिता के सिर पर किसी भारी हथियार से दस बार वार किया गया था, जिससे उनका स्कल बुरी तरह डैमेज हो गया था।

वहीं दूसरी ओर, तनिष्क के सिर पर छह वार किए गए थे और उसे कंबल में लपेटकर फ्रिज में डाल दिया गया था। लेकिन सबसे दर्दनाक बात यह थी कि, रिगर मॉर्टिस (Rigor Mortis) से पता चला – तनिष्क की मौत तुरंत नहीं हुई थी; उसने फ्रिज के अंदर ही दम तोड़ा था। यह तथ्य इस जबलपुर हत्याकांड (Jabalpur Hatyakand) की क्रूरता को और बढ़ा रहा था।


बदला हुआ मुकुल और क्राइम थ्रिलर का प्रभाव (The Changed Mukul and Influence of Crime Thrillers)

जैसे-जैसे Jabalpur Hatyakand की परतें खुल रहीं थीं, वैसे-वैसे रिश्तों की भयावहता सामने आ रही थी। इसी दौरान, पुलिस को पास के इलाके की एक और सीसीटीवी फुटेज मिली, जिसमें मुकुल पंद्रह मार्च की सुबह तीन बजे हाथ में ग्लव्स पहने घूमता हुआ दिखाई दे रहा था।

इसी फुटेज में वह हाथ में पॉलीथीन और बैग लेकर काव्या के घर की ओर जाता हुआ भी दिखा। तब, पुलिस ने खुलासा किया कि मुकुल पॉलीथीन में गैस कटर और हथियार लेकर गया था।

जब पुलिस ने मुकुल के घर पर दबिश दी, तो उन्हें सिर्फ उसका बड़ा भाई मिला। भाई ने बताया कि जेल से बाहर आने के बाद मुकुल के स्वभाव में बहुत बड़ा बदलाव आ गया था। वह अब पहले जैसा नहीं रहा था, सबसे बदतमीज़ी से बात करता और हमेशा गुस्से में रहता था।

वह पूरा-पूरा दिन टॉलीवुड की क्राइम थ्रिलर फिल्में देखता रहता था। इसके अलावा, घर की तलाशी लेने पर पता चला कि मुकुल अपनी सारी मार्कशीट्स और सर्टिफिकेट लेकर चला गया था – यानी कि, यह पूरी प्लानिंग उसने पहले से ही कर रखी थी। यह सभी बातें Kavya Mukul case की जांच में महत्वपूर्ण थीं।


राज्यों में भागते शातिर अपराधी (Cunning Criminals Fleeing Across States)

आखिरकार, पुलिस को एक महत्वपूर्ण सुराग मिला। काव्या ने एक रेस्टोरेंट में पेटीएम से खाने का बिल चुकाया। यह रेस्टोरेंट पुणे में था।

पुणे में मिली लीड ने जबलपुर हत्याकांड (Jabalpur Hatyakand) की जांच को एक नई दिशा दी, परन्तु अपराधी अब भी पकड़ से दूर थे। पुणे की लोकल पुलिस को तुरंत अलर्ट किया गया और वहाँ से एक टीम रेस्टोरेंट के लिए निकली। लेकिन इस बार भी, जब तक पुलिस की टीम वहाँ पहुँची, वे लोग वहाँ से जा चुके थे।

अब पुलिस को इन दोनों की लोकेशन तो पता लग रही थी, फिर भी वे हर छह से आठ घंटे में अपनी जगह बदल रहे थे। हैरान करने वाली बात यह है कि एक महीने में वे सात राज्य और नौ शहर बदल चुके थे।

वे सिर्फ बस और ट्रेन से ही नहीं, बल्कि कैब और फ्लाइट से भी सफर कर रहे थे। चेन्नई, पुणे, विशाखापत्तनम, गोवा, मुंबई होते हुए उनकी आखिरी लोकेशन कर्नाटक के गुलबर्गा में मिली थी। (जैसा कि 18 अप्रैल 2024 की रिपोर्ट में था)

आठ पुलिस टीमें, पैंतीस से ज़्यादा पुलिस कर्मी और लोकल इंटेलिजेंस की टीमें उनके पीछे लगी हुई थीं, इसके बावजूद वे पकड़ से बाहर थे।


अनसुलझे सवाल और उलझी पहेली (Unanswered Questions and a Tangled Puzzle)

इस Jabalpur Hatyakand से जुड़े कुछ ऐसे सवाल अब भी अनसुलझे हैं, जिनका जवाब सिर्फ़ काव्या और मुकुल ही दे सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, यह Kavya Mukul case कई सवाल खड़े करता है।

पहला, अगर काव्या मुकुल के साथ इस योजना में शामिल थी, तो वह दरवाज़ा खोलकर मुकुल को घर के अंदर ला सकती थी। तो फिर, मुकुल ने गैस कटर से पीछे का दरवाज़ा क्यों काटा?

दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण सवाल: ऑटोप्सी रिपोर्ट के अनुसार, हत्या का समय सुबह तड़के बताया गया है, जबकि काव्या ने अपनी बहन को सुबह साढ़े आठ बजे मैसेज भेजा। और तो और, ये दोनों दोपहर साढ़े बारह बजे कॉलोनी से बाहर जाते हुए सीसीटीवी कैमरे में दिखाई दिए।

घर में मिले चाय के दो कप और जूठे बर्तनों से पुलिस को यह भी पता चला कि हत्या के बाद वे दोनों आराम से खाना खाकर गए थे, यानी वे हत्या करने के बाद चार घंटे तक घर पर ही थे।

अब सवाल यह है कि, अगर काव्या इस हत्याकांड में शामिल है, तो उसने सुबह साढ़े आठ बजे अपनी बहन को वह वॉइस नोट क्यों भेजा और साढ़े बारह बजे तक घर पर क्यों रुकी रही?

क्या काव्या ने मुकुल से छुपकर यह मैसेज किया था? क्या काव्या मुकुल के दबाव में है? या फिर, यह भी उनके शातिर प्लान का ही एक हिस्सा है? निश्चित ही, यह जबलपुर हत्याकांड (Jabalpur Hatyakand) समाज में पनप रही एक गहरी समस्या की ओर भी इशारा करता है।


रिश्तों का कत्ल और एक कड़वा सच (Murder of Relations and a Bitter Truth)

हर दिन कोई न कोई अपराध किसी न किसी रिश्ते को शर्मसार करता ही रहता है। दुर्भाग्यवश, इस मामले ने भी पिता-बेटी और भाई-बहन के पवित्र रिश्तों को तार-तार कर दिया।

मात्र सोलह साल की उम्र में अपनों को इस भयानक अंजाम तक पहुँचा देना – यह ख्याल सोचकर भी दिल दहल जाता है कि हम जिसे अपना समझ रहे हैं, वह सच में कितने अपने हैं।

अंततः, काव्या और मुकुल की गिरफ्तारी के बाद ही इस सनसनीखेज जबलपुर हत्याकांड (Jabalpur Hatyakand) और Kavya Mukul case के सभी रहस्य सामने आ पाएंगे।

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